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एक आस, एक एहसास,
मेरी सोच और बस तुम
एक सवाल, एक मजाल,
तुम्हारा ख़याल और बस तुम
एक बात, एक शाम,
तुम्हारा साथ और बस तुम
एक दुआ, एक फ़रियाद,
तुम्हारी याद और बस तुम
मेरा जूनून, मेरा सुकून,
बस तुम और बस तुम
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इतनी चाहत के बाद भी
तुझे एहसास ना हुआ,
जरा देख तो ले,
दिल की जगह पत्थर तो नहीं...
जाने क्या था जाने क्या है
जो मुझसे छुट रहा है
यादें कंकर फेंक रही है
और दिल अंदर से टूट रहा है
प्यार में शर्त निभाने की कभी ज़िद न करो
प्यार को जब्र से पाने की कभी ज़िद न करो
प्यार नादान है नादां ही इसे रहने दो
प्यार को इल्म सिखाने की कभी ज़िद न करो
प्यार मासूम दुआओं की तरह होता है
तुम इसे क़ैद में लाने की कभी ज़िद न करो
बात जो क़ौम की मिल्लत में दरारें लाए
यार वो बात सुनाने की कभी ज़िद न करो
ज़िंदगी प्यार की झरने सी रवाँ होती है
रोक तुम इसपे लगाने की कभी ज़िद न करो
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हम रूठे दिलों को मनाने में रह गए,
गैरों को अपना दर्द सुनाने में रह गए,
मंज़िल हमारी, हमारे करीब से गुज़र गयी,
हम दूसरों को रास्ता दिखाने में रह गए।
दिल परेशान है तेरे बगैर
जिन्दगी बेजान है तेरे बगैर
लौट आ फिर से मेरे हमदम
सब कुछ वीरान है तेरे बगैर
रात की नींद दिन का सुकून
आना कहा आसान है तेरे बगैर
फिरते रहते पागलो की तरह इधर से उधर
लगता नही दिल बहुत नुकसान है तेरे बगैर
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लगता है भूल चूका हूँ,
मुस्कुराने का हुनर,
कोशिश जब भी करता हूँ,
आंसू निकल ही आते है.
ये तो ज़मीन की फितरत है की
वो हर चीज को मिटा देती है
वर्ना तेरी याद में गिरने वाले
आंसुओ का अलग समुंदर होता
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उसे हम याद आते हैं फ़क़त फुर्सत के लम्हों में...
मगर ये बात भी सच है उसे फुर्सत नही मिलती...
( वसी शाह )
हम तस्लीम करते हैं हमे फुर्सत नही मिलती...
मगर जब याद करते हैं तो ज़माना भूल जाते हैं...
( मिर्ज़ा ग़ालिब )
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सुस्त ज़िन्दगी के दिन चार देखिये,
तेज़ भागते वक़्त की रफ़्तार देखिये
सिकुड़ती हुई उम्र के कमरे के बाहर
ख्वाहिशों की लम्बी क़तार देखिये,
रंगीपुती रिश्तों की दीवारों के अंदर
घर बनाती रंजिश की दरार देखिये
दुकाने इंसानियत की बंद हो गयीं
वहशियत का हर तरफ बाजार देखिये
झुक के पाँव छूती थी जो शोहरतें
आज उन्हें ही सर पर सवार देखिये
बाँट ली हैं साँसे बराबर के हिस्सों में
आंसू और हंसी के बीच करार देखिये
शायद कोई हमको खोजकर ले आये
गुमशुदगी का देकर इश्तेहार देखिये
दिल तो कबका इसमें दफ़न हो चूका
अब तो सिर्फ जिस्म की मज़ार देखिये...
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हमेशा दूसरों का साथ दे,
पता नहीं ये पुण्य ज़िंदगी में
कब आपका साथ दे जाए
मकान जले तो बीमा ले सकते हैं,
सपने जले तो क्या किया जाए...
आसमान बरसे तो छाता ले सकते हैं,
आँख बरसे तो क्या किया जाए...
शेर दहाड़े तो भाग सकते हैं,
अहंकार दहाड़े तो क्या किया जाए...
काँटा चुभे तो निकाल सकते हैं,
कोई बात चुभे तो क्या किया जाए...
दर्द हो तो गोली / दवा ले सकते हैं,
वेदना हो तो क्या किया जाये...
सभी को सुख देने की क्षमता
भले ही आप के हाथ में न हो..
किन्तु किसी को दुख न पहुँचे,
यह तो आप के हाथ में ही है..
हमेशा दूसरों का साथ दे,
पता नहीं ये पुण्य ज़िंदगी में
कब आपका साथ दे जाए...
कल हम भी बारिश मे छपाके लगाया करते थे,
आज इसी बारिश मे कीटाणु देखना सीख गए,
कल बेफिक्र थे कि माँ क्या कहेगी,
आज बारिश से मोबाइल बचाना सीख गए,
कल दुआ करते थे कि बरसे बेहिसाब तो छुट्टी हो जाए,
अब डरते हैं कि रुके ये बारिश कही ड्यूटी न छूट जाए,
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