मोर पर निबंध हिंदी में संक्षिप्त जानकारी के साथ
मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है अपनी सुंदरता और धार्मिक महत्व की वजह से यह भारत की संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है भारतीय उपमहाद्वीप में मुख्य रूप से हरे और नीले रंग के मोर पाए जाते हैं अगर भारत की बात करें तो यहां नीले रंग के मोर मौजूद है |मोर की सुंदरता हमेशा से ही कलाकृतियों की पहचान रही है प्राचीन काल से ही मोर के सिक्के, मोर के चित्र के साथ बनी कलाकृतियां तथा वस्त्रों पर छापी गई मोर की आकृति मोर का एक विशेष स्थान दिखाती है मोर पक्षी के बारे में, यह बताता है कि मोर प्राचीन काल से ही आकर्षण का केंद्र रहा है |
मोर के सिर पर मुकुट रूपी कलंगी होने के कारण इसको पक्षियों का राजा भी कहा जाता है मोर की शारीरिक बनावट अत्यंत सुंदर होती है लंबी नीली गर्दन मोर को एक विशेष पहचान दिलाती है मोर के लंबे पंख होते हैं जिन पर हरे नीले पीले रंग के छोटे-छोटे निशान बने होते हैं जो दिखने में किसी सुंदर आंख जेसे लगते हैं जो अत्यंत सुंदर होते हैं
मोर का नृत्य अनेक कविताओं की शोभा बढ़ा चुका है आमतौर पर मोर वर्षा मौसम के दौरान नृत्य करते हैं जो मुख्य रूप से मादा मोरनी को लुभाने के लिए जरूरी है इस दौरान मोर के पंखों का आकार दिखने में अर्धचंद्र जैसा प्रतीत होता है और इनका फैलाव 1 मीटर तक हो जाता है इस समय मोर तेज गति से आवाज निकालते हैं जिसका स्वर अत्यंत सुरीला होता है मोर इंसानों के साथ रहने वाले पक्षी नहीं है और यह इंसानों से दूर रहना पसंद करते हैं इसीलिए नृत्य इंसान की आवाज से दूर ही होता है |
नृत्य के दौरान कुछ पंख उस जगह पर गिर जाते हैं जिनको उठाकर बाद में विभिन्न तरह के कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है जिनमें पंखों से सजावट अथवा उनका हमारे धार्मिक कार्यों में इस्तेमाल शामिल है
मोर के पंखों को शुद्ध माना जाता है जी ने किसी को आशीर्वाद देते हुए उनके ऊपर से फेरा जाता है मोर का हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व है भगवान कृष्ण अपने मुकुट पर मोर के पंखों का इस्तेमाल करते है इसके अतिरिक्त भगवान कार्तिकेय का वाहन मोर है जो मोर के महत्व को स्पष्ट रूप से दिखाता है |
मोर के जीवन का कार्यकाल मुख्य रूप से 10 वर्ष से 25 वर्ष तक का होता है कुछ मोर 40 वर्ष तक भी जीवित रह सकते हैं मोर खेतों में मौजूद कीड़े मकोड़े खाते हैं इसके अलावा वे खेतों में मौजूद सांपों का भी शिकार कर लेते हैं खेतों में किए गए इन सब कार्यों के लिए मोर को किसानों का मित्र भी अक्सर कहा जाता है
मोर अधिक वजन वाले पक्षियों की श्रेणी में आते हैं और इसी अधिक वजन की वजह से मोर ज्यादा समय तक उड़ नहीं पाते और ना ही प्रवासी पक्षियों की तरह ज्यादा दूर जा पाते हैं अगर मोर के सामान्य वजन की बात करें तो यह लगभग 5 से 10 किलोग्राम तक का हो सकता है
अगर मोर मोरनी की तुलना करें तो मोरनी दिखने में मोर की तरह ज्यादा सुंदर नहीं होती इसके पंखों का आकार भी मोर के मुकाबले छोटा होता है मोरनी मिलन के बाद 4 से 8 अंडे देती है इन अंडों से नन्हे मोर को निकलने में 30 दिन तक का वक्त लगता है इस तरह मोरो की प्रजाति का विकास आगे बढ़ता है
मोर पर निबंध का निष्कर्ष
भारत का राष्ट्रीय पक्षी तथा हिंदू धर्म में इतना स्थान होने के बाद भी आज मोरों की संख्या बहुत कम है भारत सरकार द्वारा मोरों का शिकार पर प्रतिबंध बहुत पहले से ही लगाया जा चुका है लेकिन बढ़ते प्रदूषण तथा जंगलों की अंधाधुंध कटाई की वजह से आज मोरों के साथ साथ अन्य सुंदर प्रजातियों पर भी संकट मंडराता जा रहा है
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